निबंधों की दुनिया: प्रेमचंद

सेठी, रेखा (सं.) (2012)। निबंधों की दुनिया: प्रेमचंद (प्रथम संस्करण)। नई दिल्ली, भारत: वाणी प्रकाशन। आईएसबीएन नंबर 978-53-5072-164-3

‘निबंधों की दुनिया’ शृंखला के अंतर्गत इस पुस्तक में हिंदी के महत्त्वपूर्ण रचनाकारों के निबंधों का संकलन है। ये सभी रचनाकार हिंदी साहित्य के इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। उनके विचार न केवल उनके साहित्य को रौशन करते हैं बल्कि साहित्यिक परंपरा की विकास धारा को भी दिशा देते हैं।

प्रेमचंद का रचना-कर्म साहित्य और जीवन की दूरी पाटने की मुहिम है। उनका समस्त लेखन अपने परिवेश के प्रति जागरुक, उस रचनाकार की अभिव्यक्ति है जिसके विचारों में सत्य की ऊर्जा है और दृष्टि में परिवर्तन की चाह। वे आजीवन मानते रहे कि साहित्य वह मशाल है जिसकी रौशनी सामाजिक जीवन की राहों में उजाला करती है। यह समाज का अनुसरण ही नहीं करती बल्कि उसका दिशा-निर्देश भी करती है।

प्रेमचंद का साहित्य जीवन के उच्चादर्शों, सामाजिक सच्चाइयों, राष्ट्रीय-सांस्कृतिक एकता के गौरवपूर्ण बिंदुओं से झिलमिलाता है। सुलझी हुई सामाजिक समझ और मानवीय गरिमा के उन्नयन की बेचैनी, उन्हें हम सबका अपना लेखक बनाती है जिन पर न केवल हिंदी साहित्य को बल्कि समूची भारतीय परंपरा को नाज़ है।

प्रेमचंद ने कभी व्यवस्थित ढंग से निबंध नहीं लिखे फिर भी ‘निबंधों की दुनिया’ शृंखला में उन्हें शामिल करने के पीछे यह आग्रह रहा कि अपने समय के इस महत्त्वपूर्ण लेखक के वैचारिक क्षितिज को टटोला जाए। अनुभूति की जो तपिश उनके कथा-साहित्य में है वही उनके वैचारिक साहित्य में भी है। वैचारिक मंथन की दृष्टि से प्रेमचंद के विचारों की दो स्पष्ट श्रेणियाँ हैं-साहित्य संबंधी तथा तत्कालीन समाज और राजनीति से संबंधित। ‘प्रगतिशील लेखक संघ’ के सभापति पद से भाषण देते हुए प्रेमचंद ने साहित्यिक सोद्देश्यता को साहित्य-आस्वाद की कसौटी बनाकर प्रतिष्ठित किया। यह चिंतनधारा साहित्य में युगांतर प्रस्तुत करती है। उनके ऐसे भाषण, लेख, संपादकीय, कहानी संग्रहों की भूमिकाएँ – सबमें अनेक ऐसे संदर्भ प्रस्तुत हैं जिनमें उनके विचार तत्कालीन समय-समाज और साहित्यिक रुझानों पर ही केंद्रित नहीं रहते बल्कि परवर्ती युगों की साहित्यिक समझ का आधार भी बनते हैं। उनके दृष्टिकोण को व्याख्यायित करने वाली ऐसी अनेक रचनाएँ किसी वैचारिक निबंध से कम नहीं हैं। प्रस्तुत संकलन के लिए ऐसी ही रचनाओं को चुना गया है।

पुस्तक के फ्लैप से

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